माउस क्या है? इसके प्रकार | What is Mouse in Hindi

What is Mouse in Hindi : दोस्तों क्या आपको मालूम है कि माउस क्या है? व इसके प्रकार कितने है अगर आपको नही मालूम है और आप जानना चाहते है Mouse के बारे में पूरी जानकारी तो इस पोस्ट को अंत तक पढ़े इसमे आपको माउस के बारे में अनोखी चीजे जानने को मिलेगी।

यह एक ऐसे डिवाइस है जिसके बारे में लगभग हर कोई जानता है लेकिन अगर आपने नया-नया कंप्यूटर/लेपटॉप इस्तेमाल करना शुरू करा है तो शायद आप इसके बारे में न जानते हों लेकिन कंप्यूटर चलाने के लिए हमें दो तरह से डिवाइस इस्तेमाल करना होता है जिसको हम Input ओर Output के नाम से जानते है।

माउस से हम अनेको प्रकार के कार्य किये जाते है लेकिन क्या आप जानते माउस का हिंदी मतलब क्या होता है तथा माउस का खोज किसने किया आपको बता दु की यह कंप्यूटर का बहुत ही महत्वपूर्ण पार्ट है। 

अगर आप कंप्यूटर या तकनीकी क्षेत्र में रुचि रखते है तो इस पोस्ट में आपको काफी कुछ अच्छी जानकारी जानने को मिल सकता है तो चलिए पहले जान लेते है कि Mouse क्या होता है (What is Mouse in Hindi) और यह कैसे काम करता है।

What is Mouse in Hindi

Table of Contents

माउस क्या है? – What is Mouse in Hindi

Mouse एक कंप्यूटर का इनपुट डिवाइस होता है जिसका इस्तेमाल कंप्यूटर चलाने के लिए किया जाता है आसान शब्दों में कहा जाए तो माउस कंप्यूटर का हाथ होता है जिस प्रकार इंसान अपने काम करने के लिए अपने हाथों का प्रयोग अपने कामों को करने के लिए करता है ठीक उसी प्रकार कंप्यूटर में मौजूद अनेको प्रकार के फोल्डर, डेटा, इंटेरनेट आदि चीजो को माउस के जड़िये किया जाता है।

माउस का इस्तेमाल करके आप कंप्यूटर पर कहीं भी किसी भी फोल्डर/फ़ाइल में जा सकते हैं और किसी भी प्रोग्राम या फ़ाइल को open कर सकते हैं इसके इस्तेमाल करके आप बहुत आसानी से computer को operate कर सकते हैं जो ग्राउंड के सतह से पता लगाकर X-Y दिशा का संदेश देने का काम करता है।

इसे हम पॉइंटिंग डिवाइस भी कहते है क्योंकि माउस कंप्यूटर में मौजूद चीज़ों को point करता है और कंप्यूटर के साथ रुचि रखने में मदद करता है Mouse Hardware है और ये एक input device होता है।

अगर आपके पास Mac हो या Windows Computer हो आप आसानी से अपने कंप्यूटर को माउस के जड़िये भी Operate कर सकते है बिना माउस के कंप्यूटर इस्तेमाल करना बहुत कठिन होता है।

वैसे तो आप Keyboard से भी कंप्यूटर को ऑपरेट कर सकते हैं लेकिन जो मजा और आराम आपको माउस से कंप्यूटर ऑपरेट करने में मिलेगा वो आपको किसी और device से नहीं मिलेगा। बिना Mouse के Computer चलना बहुत ही असुविधाजनक होता है।

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माउस का हिंदी क्या होता हैं? – Mouse Meaning in Hindi

जैसा कि हम जानते है कि माउस एक इनपुट डिवाइस है जिसकी बनावट बिल्कुल चूहे की तरह होती है दो आँखे के समान बटन ओर एक पूछ के समान तार(wire) होती है इसलिए इसे चूहा भी कहाँ जा सकता है।

माउस का डिजाइन कैसे होता है?

माउस का डिजाइन अनेको प्रकार के हो सकते है इसका पार्ट्स भी तरह तरह के हो सकते है चलिए ज्यादा तक उपयोग करने वाले माउस के बारे में जान लेते है

1. Buttons :- हर किसी mouse में 3 buttons होते हैं। उन 3 buttons में एक होता है left click, एक होता है right click और एक होता है scroll wheel. किसी भी mouse में ये 3 buttons जरूर होते हैं।

2. Ball, LED या Laser :- हर mouse में ball, LED या laser में से एक चीज़ जरूर होती है। इन तीनो के कारण ही आप mouse के pointer/cursor को अपने desktop पर track कर सकते हैं। इसके कारण ही आप computer पर cursor का इस्तेमाल कर पाते हैं और अपने काम कर पाते हैं जैस – file को खोलना, उन्हें copy करना आदि।

3. Circuit Board :- Circuit board किसी भी mouse का एक बहुत जरूरी हिस्सा होता है बल्कि ये कह सकते हैं की एक circuit board ही mouse का सब कुछ होता है। अगर mouse में circuit board न हो तो mouse बिलकुल भी काम नहीं कर सकता है।

Circuit board का काम होता है की वो user द्वारा दी गयी instruction को electrical signal की मदद से computer तक पहुंचाए और user द्वारा दिए गए निर्देश को पूरा करे।

4. Cable या Wireless Receiver :- मुख्य रूप से mouse दो प्रकार के होते हैं, पहला, जिसमे तार होती है (wired) और दूसरा जिसमे तार नहीं होती है (wireless).

Wired mouse में तार होती है जिसकी मदद से आप mouse को computer से connect कर सकते हैं और उसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

Wireless Mouse में कोई भी तार नहीं होती है बल्कि इसमें एक wireless receiver/device होता है जो की computer में लगाया जाता है ताकि mouse और computer को एक साथ connect किया जा सके।

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माउस कैसे काम करता है? – How to Work Mouse in Hindi

आपने अक्सर कंप्यूटर चलाते हुए लोगो को देखा होगा जिसमें माउस के जड़िये कम्प्यूटर में कई सारे एक्टिविटी किया जाता है अगर कोई पहली बार माउस का इस्तेमाल करते हुए देखता है

तो उसे आश्चर्य होता है कि कैसे माउस को बाहर Move करने पर कंप्यूटर के अंदर स्क्रीन में एक्टिविटी होता है ऐसा सवाल मन मे उठता है अगर आप भी जानना चाहते है तो चलिए ये भी जान लेते है।

Roller Ball के द्वारा काम करने का तरीका

जब माउस के सतह पर लगे रोलर बॉल जब पेड के ऊपर मूव करता है तो ये बॉल घूमने लगता है बॉल के अगल बगल दो प्लास्टिक लगे होती है जो रोलर को धकेलती है यह पहले wheels से बंधी होती है।

जिसमे एक व्हील् के ऊपर ओर नीचे “Y- Axis” के रूप में डिडेक्ट करती है तथा दूसरी व्हील साइट टू साइट मूवमेंट डिडेक्ट करती है इसे “X – Axis” बोल सकते है अब आपके दिमाग मे सवाल उठ रहा होगा कि ये कैसे इतना एकोरेट जान लेती है।

तो हम बता दे कि जब आप जब हम माउस को सर्फेस पर मोव करते है तो Y- axis ओर X – axis अपने अपने दिशा के अनुसार मोव करता है जिससे हमारे एकोरेट मूवमेंट कंप्यूटर के स्क्रीन पर नजर आती है असल बात यह है कि इसकी हर व्हेल्स प्लास्टिक का बना होता है।

आपको बता दे कि जब व्हील सर्फेस पर घूमता है तो लाइट ब्रेक करता है उतनी बार beam टूटता है जैसे जैसे बीम टूटता है वैसे वैसे सही गिनती का पता लगता है Measuring और Counting करने के लिए एक माइक्रोचिप लगा होता है।

 जो केवल के जड़िये कंप्यूटर को सभी प्रकार के मूवमेंट की जानकारी देता है और इसी जानकारी के हिसाब से कर्सर स्क्रीन पर चलता दिखाई देता है।

Optical Mouse के काम करने का तरीका

माउस के नीचले हिस्से में एक led बल्ब लगा होता है जिससे एक पतली लाइट निकलती है जो नीचे के स्पेस या पेड़ से टकराती है फिर वापस आती है अब जो led बल्ब के बगल में लगे photocell तक जाती है।

फ़ोटो सेल के सामने के लेंस होता है जो माउस में हो रहे मूवमेंट्स को पहचानता है जिससे मालूम चलता है कि कैसे काम हो रहा है।

Wireless Mouse के काम करने का तरीका

Wireless Mouse के काम करने का तरीका ऑप्टिकल माउस ओर रोलर माउस की तरह ही होता है लेकिन फर्क इतना ही है कि वायरलेस माउस में वायर के जगह पर वायरलेस या ब्लूतूथ होता है आपको बता दे कि Bluetooth माउस में केवल नही होता है।

 इसके पावर के लिए बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है जिसके कारण यह माउस बाकी माउस के मुकाबले कुछ ज्यादा ही अच्छा पफॉमेंन्स देता है इसकी खास बात यह है कि यह Bluetooth से चलने के कारण इसमें बैटरी की खपत ज्यादा होता है जिसकी वजह से बैटरी खत्म होने में बदलना पड़ता है।

माउस के प्रकार – Types of Mouse in Hindi

Mouse कई प्रकार के होते हैं जिनके बारे में हम आपको बाद में बताएंगे। फिलहाल हम आपको एक basic mouse के parts के बारे में बताएंगे जिन parts के बारे में हमने आपको नीचे बताया है।

वो parts हर basic या advanced mouse में होते हैं चाहे वो कितना भी महंगा हो या कितना भी सस्ता हो  मुख्य रूप से माउस 5 प्रकार के होते हैं। नीचे हमने हर माउस के बारे में विस्तार से बताया है।

  1. Mechanical Mouse
  2. Optical Mouse
  3. Wireless Mouse
  4. Trackball Mouse
  5. Stylus Mouse

1. Mechanical Mouse

Mechanical Mouse का आविष्कार Bill English एक American engineer द्वारा सन 1972 में किया गया था। इस mouse के नीचे एक ball होती है जिसके कारण इसकी movement को track किया जाता है।

जब user mousepad पर mouse को रखकर move करता है तब mouse के नीचे की ball move करती है जिसके कारण mouse की movement को track किया जाता है। Mechanical mouse में moving parts होते हैं।

इस mouse में ball होने के कारण इसे ball mouse भी कहा जाता है। इसकी peformance अच्छी होती है लेकिन इसकी ball पर dust जम जाती है जिसके कारण इसे समय-समय पर साफ़ करना पड़ता है।

Mechanical mouse में USB port दिया होता है और ये mouse तार के साथ ही आते हैं। इसमें wireless mouse नहीं आते हैं।

Mechanical या Ball mouse का इस्तेमाल शायद ही कोई करता होगा। आज के समय में सभी लोग optical mouse का इस्तेमाल करते हैं। और अब हम आपको optical mouse के बारे में बताएंगे।

2. Optical Mouse  

Optical Mouse का design 1988 में Stephen B. Jackson द्वारा Xerox में patent किया गया था। और पहला optical mouse जो की commercially available हुआ था वो Hewlett-Peckard द्वारा विकसित की गयी तकनीक का इस्तेमाल करके 1999 में किया गया था।

Optical Mouse में एक LED (Light Emitting Diode) होती है और ये Digital Signal Processing की मदद से काम करता है। इसमें किसी भी प्रकार की कोई ball नहीं होती है। बल्कि ball की जगह इसमें एक छोटा bulb होता है जिसकी मदद से mouse pointer computer पर move कर पाता है। Optical mouse में कोई भी moving parts नहीं होते हैं।

Optical mouse को standard mechanical mouse का दर्जा भी मिला हुआ है। और इस mouse को ये दर्जा मिलने का कारण ये है की ये mouse अन्य mouse की तुलना में काफी अच्छा perform करते हैं और इनको maintaince की न के बराबर जरूरत होती है। इसमें dust जमने की कोई दिक्कत नहीं होती है।

Optical mouse में भी USB port होते हैं। लेकिन ये mouse दो प्रकार में आते हैं। पहला तार वाला mouse या दूसरा बिना तार वाला mouse.

Optical mouse की performance उसके surface पर निर्भर करती है। मतलब आप उसे जिस surface पर रखकर इस्तेमाल करते हैं उस पर। अगर आप उसे rough या उबड़-खाबड़ surface पर रखकर इस्तेमाल करते हैं तो वो ठीक से काम नहीं करेगा। Optical mouse को अच्छे से इस्तेमाल करने के लिए आपको उसे plain surface पर रखकर इस्तेमाल करना होगा।

3. Wireless Mouse

Wireless mouse को John Markoff द्वारा बनाया गया था। Wireless mouse का मतलब होता बिना तार वाला mouse. इसे cordless mouse भी कहते हैं।

Wireless mouse radio frequency (RF) पर काम करता है। ये mouse बनावट में बिलकुल optical mouse जैसे ही होते हैं। इस mouse में transmitter और receiver होते हैं।

Transmitter तो mouse के अंदर ही होता है और receiver अलग से दिया जाता है। Wireless mouse को computer से connect करने के लिए के receiver को computer में लगाया जाता है जिससे की mouse computer से connect हो जाए। Wireless mouse battery से चलते हैं और इनमे on और off का button भी होता है।

Wireless mouse wired mouse से थोड़े महंगे आते हैं लेकिन ये उन लोगों के लिए बहुत अच्छे होते हैं जिन्हे फालतू तारें पसंद नहीं है। इस mouse को आप travelling करते वक़्त आसानी से carry कर सकते हैं।

4. Trackball Mouse

Trackball mouse की खोज Ralph Benajmain द्वारा world war 2 के दौरान की गयी थी Trackball mouse का design optical mouse की तरह होता है और इसमें एक ball भी होती है।

लेकिन इसमें mechanical mouse की तरह mouse के नीचे ball नहीं होती है बल्कि इसमें mouse के side में ball होती है Trackball mouse से computer को चलाने के लिए user को इसमें दी गयी ball को अपने अंगूठे या ऊँगली से move करना होता है।

उस ball को move करने से computer पर pointer को control किया जाता है लेकिन इस mouse को इस्तेमाल करने में समय लगता है और यह थोड़ा uncomfortable भी होता है।

लेकिन आज-कल ये mouse बहुत मुश्किल से देखने को मिलते हैं और आज की तारीक में शायद इन्हे कोई भी इस्तेमाल नहीं करता होगा।

5. Stylus Mouse

Stylus mouse का आविष्कार Gordon Stewart ने किया था। इसे gStick mouse भी कहते हैं। क्योंकि इस mouse का आविष्कार Gordon ने किया था इसलिए gStick में g का मतलब Gordon है।

यह mouse का design एक pen की तरह होती है। इसमें एक पहिया (wheel) होता है जिसे ऊपर-निचे करने से computer में cursor move करता है। Stylus device का इस्तेमाल अधिकतर touchscreen devices पर किया जाता है।

Mouse के कार्य क्या होता है? – Work for Mouse in Hindi

अब हम आपको Mouse के कार्य के बारे में बताएंगे माउस कोई एक काम नहीं करता है बल्कि वो कई सारे काम करता है जिनके बारे में नीचे बताया गया है।

1. Pointing: Mouse का सबसे जरूरी और मुख्य काम होता है किसी चीज़ को point करना। मतलब मान लीजिये आपने किसी program पर click किया तो जब आप किसी program या document पर click करते हैं तो वो select हो जाती है। और इस पूरी प्रक्रिया को pointing कहते हैं।

2. Selecting: जब आप किसी program या document पर single left click करते हैं तो वो select हो जाती है। जब किसी program के चारों तरफ एक box बन जाए तो उसे select होना कहते हैं।

3. Clicking: Mouse में मुख्य रूप से 2 click होते हैं एक left click होता है और dusra right click होता है। वैसे तो mouse में एक center wheel भी होता है जो की click भी होता है लेकिन उसका ज़्यादा कोई इस्तेमाल नहीं करता है।

Left और right click के भी अलग-अलग मतलब होते हैं। अगर कोई single right click करता है तो उसका function कुछ होता है और अगर कोई double right click करता है तो उसका function कुछ और होता है। ऐसा ही left click के साथ भी होता है।

Single और Double click के बीच में अंतर क्या है?

1. Left Click

जैसा की मैंने आपको बताया की mouse में मुख्य रूप से 2 click buttons होते हैं एक left में होता है और एक right में। और left वाले button को left click button भी कहते हैं। Left click में single और double click के अलग-अलग function हैं जिनके बारे में हमने निचे बताया है।

  • Single Click – जैसा की नाम से ही पता चल रहा है की किसी item पर एक बार click करके छोड़ देने को single click कहते हैं। अगर आप किसी item पर single click करते हैं तो इससे आप कुछ programs, जैसे – taskbar और start menu पर मौजूद programs को open कर सकते हैं, items को select कर सकते हैं, web links को open कर सकते हैं।
  • Double Click – जल्दी से 2 बार click करने को double click कहते हैं। Single click करने से आप सिर्फ start menu और taskbar पर मौजूद programs को ही खोल सकते हैं लेकिन double click से आप पूरे computer में मौजूद किसी भी program, document, file या software को open कर सकते हैं।
    Double click करने से किसी document में मौजूद single word को भी select किया जा सकता है।
  • Triple Click – एक साथ 3 click करने को triple click कहते हैं। इसका इस्तेमाल बहुत कम लोग करते हैं और शायद इसके बारे में अधिकतर लोग जानते भी नहीं हैं। तो अगर आपको भी triple click के बारे में नहीं पता है तो हम आपको बता दें की triple click करने से किसी document के पुरे paragraph को select किया जा सकता है।

2. Right Click 

Right click में सिर्फ single click ही होते है। इसमें double या triple click का कोई मतलब नहीं होता है। कहीं पर भी right click करने से वहां पर हो सकने वाले सारे functions की एक list खुल जाती है।

जैसे अगर आप desktop पर right click करते हो तो आपके सामने desktop पर होने वाले functions की एक list खुल जाती है। अगर आप किसी document या file को select करके उसपर right click करते हैं तो उस document या file पर किये जाने वाले functions का एक menu खुल जाता है।

अगर आप किसी file या document के साथ किये जाने वाले functions की list/menu को देखना चाहते हैं तो इसके लिए आपको उसे select करने की जरूरत नहीं है मतलब पहले left click करके right click करने की जरूरत नहीं है।

उस file के funtions देखने के लिए आपको उसपर सीधे right click करना है जिससे वो file अपने आप select भी हो जायेगी और साथ ही आपके सामने functions की list भी खुल जायेगी।

3. Dragging and Dropping

Dragging और Dropping का हिंदी में मतलब होता है किसी चीज़ हो एक जगह से उठाकर दूसरी जगह रख देना।

ऐसा करने के लिए आपको सबसे पहले left click से उस item को select करना होता है जिसे आप move करना चाहते हैं। उसके बाद उस item पर left click करके उसे hold करके रखना होता है,

मतलब एक बार left click करके item को select करने के बाद आपको उस पर दुबारा click करके उसे drag करना होगा जिससे आपका वो item move करना शुरू कर देगा। उसके बाद उसे छोड़ने के लिए आपको simply left click को छोड़ देना है।

4. Scrolling

Mouse से सिर्फ click ही नहीं किये जाते हैं बल्कि इससे किसी भी page या window को scroll भी किया जा सकता है।

जैसा की आप जानते हैं की mouse में 3 buttons होते हैं जिनमे से एक center wheel होता है Page को scroll करने के लिए बस आपको उस पहिये (wheel) को घुमाना होता है।

जैसे ही आप wheel को घुमाना शुरू करेंगे तो page scroll होना अपने आप शुरू हो जाएगा।

Mouse का Full Form क्या है?

अब हम जान लेते है कि माउस का फुल फॉर्म क्या होता है जैसा कि हम जानते हैं कि माउस एक इनपुट डिवाइस है इसका फुल फॉर्म Manually Operated Utility Selecting Equipment होता है जिसका हिंदी मतलब “मैन्युअल रूप से संचालित उपयोगिता चयन उपकरण” होता है।

M – Manually

O – Operated

U – Utility

S – Selecting

E – Equipment

Mouse Interface कैसा होता है?

Mouse interface के बारे में जानने से पहले हम आपको ये बता दें की interface क्या होता है Interface computer system में एक shared boundary होती है।

जिसमे दो या दो से अधिक अलग-अलग components information का आदान-प्रदान करते हैं।

Computer mouse का interface समय के साथ बहुत विकसित हुआ है। और पुराने समय की तुलना में आज के computer mouse का interface बहुत ज़्यादा बदल चूका है निचे हमने हर computer interface के बारे में विस्तार से बताया है।

1. Serial Mouse

Serial mouse interface सबसे पुराना mouse interface है और आज के समय में इसका कोई भी इस्तेमाल नहीं करता है या यूँ कहें की इसका बहुत ही कम लोग इस्तेमाल करते हैं। कुछ सरकारी दफ्तरों में आज भी लोग serial mouse का इस्तेमाल करते हैं। पर ऐसे बहुत कम लोग हैं जो इसका इस्तेमाल करते हैं।

Serial mouse में एक serial connector होता है जिसका नाम है DE-9F D-subminiature होता है। इस port की तार mouse से जुड़ी हुई होती है।

Serial interface वाले mouse के port को आपको अपने computer से connect करना होता है जिसके बाद आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन serial mouse को आप तब ही computer से connect कर सकते हैं।

जब आपको computer बंद हो अगर चलते computer में आप serial mouse को लगते हैं तो हो सकता है की आपका mouse काम न करे।

बदलते समय के साथ mouse में भी काफी बदलाव आया है जिसके कारण आज के समय में लोग नए connector के mouse इस्तेमाल करते हैं जैसे PS/2 और USB mouse.

2. PS/2 Mouse

Serial mouse के बाद एक नए mouse interface की खोज हुई जिसे PS/2 mouse कहते हैं और इसे PS/2 mouse इसलिए कहते हैं क्योंकि इसके port का नाम PS/2 होता है। PS/2 mouse serial mouse का एक upgraded version है।

ये port (mini-din) circular होता है और इसके अंदर 6 pins होती हैं जो की computer में connect हो जाती है। और इस port का size serial mouse के port से छोटा होता है।

PS/2 mouse को computer से connect करने के लिए आपको इसके port को बहुत ध्यान से देखकर computer में लगाना करना होता है क्योंकि इसकी pins बहुत नाज़ुक होती हैं और अगर इसे गलत लगाया गया तो इसके अंदर की pins टूट सकती हैं या मुद सकती हैं जिससे mouse ख़राब भी हो सकता है।

अगर आप चाहें तो इस mouse को खरीद कर अपने computer में लगा सकते हैं। और आज के समय में भी PS/2 mouse का इस्तेमाल काफी लोग करते हैं। क्योंकि अभी भी motherboard बनाने वाली companies motherboard में PS/2 mouse के port को भी शामिल करती हैं।

Serial mouse की तरह PS/2 mouse को भी आप तब ही लगा सकते हैं जब आपको computer shut down हो। अगर आप इसे chalte computer में लगाएंगे तो हो सकता है की ये काम न करे।

3. USB Mouse

आज के समय में लोग जिस mouse का सबसे अधिक इस्तेमाल करते हैं वो है USB mouse. इस mouse का इस्तेमाल आज की तारीक में हर कोई कर रहा है क्योंकि ये mouse प्रचलन में है।

USB mouse का port type-A वाला USB port होता है। और ये port सबसे आसानी से connect हो जाता है इसमें कोई भी pin नहीं होती है और design phone के charging wire की तरह दिखता है।

इस mouse की ख़ास बात ये है की आप इस mouse को running computer मतलब जब कंप्यूटर चल था होता है तब भी इसे अपने कंप्यूटर में connect कर सकते हैं और ये connect होते ही अपना काम करना शुरू कर देता है।

Mouse Cursor/Pointer क्या होता है?

Mouse cursor उसे कहते हैं जो की माउस को कनेक्ट करने के बाद computer की screen पर दिखता है। जब आप computer से अपने mouse को connect करते हैं तो by default computer पर आपको एक छूटा सा arrow दिखता है जिसे cursor कहते हैं।

Cursor की मदद से ही आप mouse को इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर screen पर कर्सर नहीं दिखेगा तो आप mouse से कोई भी काम नहीं कर पाएंगे। Mouse से काम करने के लिए कर्सर का screen पर दिखना बहुत जरूरी है।

कर्सर का काम होता है चीज़ों को point करना इसलिए कर्सर को पॉइंटर भी कहा जाता है।

कर्सर काम के हिसाब से अपना रूप बदलता रहता है कर्सर किस काम के लिए किस रूप में बदलता है इसे आप नीचे दी गयी image में देख सकते हैं।

Mouse का आविष्कार किसने किया था?

Mouse का विकास 1960 में Douglas Engelbart द्वारा शुरू किया गया था जब वो SRI (Stanford Research Institute) में computers और इंसानों के बीच बातचीत के ऊपर research कर रहे थे। उसके बाद SRI के एक chief engineer Bill English ने 1964 में पहली बार mouse का एक prototype तैयार किया।

इस प्रकार mouse के अविष्कार की प्रक्रिया शुरू हुई थी। और Douglas Engelbart को mouse का आविष्कारक माना जाता है।

FAQ

Q : माउस का दूसरा नाम क्या है?

Ans : माउस को “Pointer” के नाम से भी पुकारा जाता है.

Q : माउस में कितने बटन होते है?

Ans : माउस में दो या तीन बटन होते है.

Q : माउस इनपुट डिवाइस है या आउटपुट डिवाइस?

Ans : माउस एक इनपुट डिवाइस है.

Q : माउस को सबसे पहले किसने बनाया था?

Ans : माउस को डगलस कार्ल एंजेलबर्ट और डगलस कार्ल एंगेल्बर्ट ने 30 जनवरी 1925 को सबसे पहले माउस को बनाया था.

Q : माउस का दूसरा नाम क्या है?

Ans : Pointer Device

Q : माउस में कितने बटन होते हैं?

Ans : 3 (Left, Right, Scroll)

Q : माउस के बीच वाले बटन का नाम क्या हैं?

Ans : स्क्रोल बटन (Scroll Button)

उम्मीद करता हूँ की आपको यह पोस्ट पसंद आया होगा अगर आपको इसके बारे में समझने में कोई दिक्कत हो या कोई सवाल है तो कमेंट बॉक्स में पूछ सकते है हम आपके प्रश्न का उत्तर जरूर देंगे।

अगर ये पोस्ट आपको अच्छा लगा तो अपने दोस्तों के साथ आगे सोशल मीडिया पर शेयर करे।

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