Train Ka Avishkar Kisne Kiya | ट्रेन का आविष्कार किसने किया और कब हुआ?

Train Ka Avishkar Kisne Kiya : आज आप जानेंगे कि ट्रेन का आविष्कार किसने किया और कब हुआ? इसके बारे में पूरी जानकारी जानेंगे ट्रेन दुनिया का सबसे बड़ा Tranport का साधन है आज दुनिया के करोड़ों यात्री एक दिन में एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जानने में मदद करता है दुनिया के 90% आवादी ट्रेन में सफर करती है।

रेलगाड़ी ने लोगो के जिंदगी में क्रांतिकारी परिवर्त्तन किया है ट्रेन से केवल यात्री ही नहीं बल्कि बहुत सी जरुरत मंद चीजों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में इस्तमाल किया जा रहा है यह एक तो सस्ता साधन है और दूसरा यह बहुत ही आरामदेह साधन है ट्रेन का आविष्कार वैज्ञानिकों का एक अद्भुत देंन है।

आज के समय मे ट्रेन के अंदर बहुत सी सुविधाएं दी जाती है वह भी सस्ते दामों पर इसलिए लोगो का आकर्सन ट्रेन कि बढ़ता जा रहा है और लोग ज्यादा से ज्यादा ट्रेन से यात्रा करना पसंद करते है।

अपने भी कभी न कभी ट्रेन से जरूर यात्रा किये होंगे लेकिन क्या आपको मालूम है कि ट्रेन का आविष्कार किसने किया और कब हुआ? अगर नही मालूम है तो पोस्ट को अंत तक पढ़ें।

ट्रेन का आविष्कार किसने किया

ट्रेन का आविष्कार किसने किया?

ट्रेन का आविष्कार यूनाइटेड किंगडम के रहने वाले पेशे से इंजीनियर Richard Trevithick ने किया था सबसे पहली बार ट्रेन का प्रारूप 1604 में इंग्लैंड के वॉलेंटर में सामने आया था उस समय लकड़ी से बनायीं गयी काट के डब्बो के गाड़िया जो पटरियों पर चलती थी और उसे घोड़ो से खींचे जाते थे और बाद ने पेसे से इंजनियर रिचर्ड ट्रवेथिक ने भाफ का इंजन का इस्तमाल किया गया।

ट्रेन का आविष्कार किसने किया?Richard Trevithick

यूरोप के कुछ इंजीनियरो ने इस बात की कल्पना कि थी वे एक ऐसे गाड़ी तैयार करे जिसे घोड़े के स्थान पर मशीन द्वारा चलाया जा सके इस दिशा में अनेको लोगो ने प्रयास भी किया लेकिन सर्वप्रथम Train का आविष्कार फ्रांसीसी सेना के इंजीनियर निकोलस ने भाफ के इंजन का अविष्कार किया यह एक तोफ गाड़ी थी और ये ज्यादे आवाज के साथ चिंगारियाँ भी फेकती थी इसमें घोड़ा गाड़ी से अधिक खर्चा आता था।

कुछ समय बाद इसका एक पहियाँ टूट गया जिससे यह उलट गई यह गाड़ी अधिक उपयोगी नहीं थी इसलिए इसपर ज्यादा काम नहीं किया गया कुर्निश के एक युवा वैज्ञानिक रिचर्ट त्रिविथिक ने 1801 में एक लोहे इस इंजन गाड़ी बनाने में सफलता मिली इस इंजन में एक चिमनी लगी हुई थी तथा आस-पास लोगो का बैठने का थोड़ा जगह था।

त्रिविथिक के इंजन गाड़ी सड़को पर चलने के अलावा पटरियों पटरियों पर चलाया गया लेकिन कुछ दिन के बाद इनकी गाड़ी में आग लग गयी जिसकी वजह से यह नस्ट हो गया। रिचर्ट त्रिविथिक एक साहसी आदमी था भाफ इंजन जलने के बाद उसने फिर से भाफ इंजन बनाई गई।

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Train का आविष्कार कब हुआ?

ट्रेन का आविष्कार सन 1769 में फ्रांसीसी सेना के इंजीनियर निकोलस द्वारा भाफ के इंजन का अविष्कार किया इस आविष्कार में काफी कमियां थी जिसे बाद में सही कर दिया गया यह एक थोप गाड़ी थी जो काफी चिंगारी और आवाज निकालती थी यह ज्यादा दिन तक नही टिक पाए सन 1801 में एक युवा वैज्ञानिक रिचर्ट त्रिविथिक ने लोहे की इंजन वाली रेलगाड़ी बनाई जो काफी हद तक ठीक थी।

इसमे लोगो को बैठने के लिए कुछ स्थान भी था लेकिन यह भी कामयाब नही हो पाया आइये इसके बारे में और गहराई से समझने के लिए ट्रेन का इतिहास जानते है।

दुनिया का 10 सबसे लंबी रेलगाड़ी

वैसे तो दुनिया भर में अलग अलग तरह की रेलगाड़ियां है लेकिन जब बात आती है कि दुनिया सबसे लंबी रेलगाड़ी कौन सी है तो काफी कम लोगो को मालूम होता है आइये दुनिया का 10 सबसे लंबी ट्रेन कौन कौन है जान लेते है।

  1. BHP Billitron Iron Ore Train,( Australia )
  2. Double Stack Container Trains, (Canada)
  3. RDP Trains, (South Africa)
  4. AAR Standard S-400,( USA)
  5. Cajaras Railway Freight Trains, (Brazil)
  6. Daqin Railway Coal Trains,( China)
  7. Mauritania Railway Iron Ore Trains, (Mauritania)
  8. Rio Tinto Railway Services,( Australia)
  9. Maruti Freight Train, (India)
  10. The Ghan, (Australia)

दुनिया का 10 सबसे तेज चलने वाली रेलगाड़ी

सबसे लंबी ट्रेन के बारे में जानने के बाद बहुत से लोगो के मन मे ख्याल होगा कि दुनिया का सबसे तेज चलने वाली रेलगाड़ी कौन सी है आइये इसके बारे में जान लेते है।

  1. Shanghai Maglev, 267.8 Mph, (China)
  2. Harmony CRH 380A, 236.12 Mph,( China)
  3. AGV Italo, 223.6 Mph, (Italy)
  4. Siemens Velaro E/AVS 103, 217.4 Mph, (Spain)
  5. Talgo 350, 217.4 Mph,( Spain)
  6. E5 Series Shinkansen Hayabusa, 198.8 Mph,( Japan)
  7. Alstom Euroduplex, 198.8 Mph, (France)
  8. SNCF TGV Duplex, 198.8 Mph, (France)
  9. ETR 500 Frecciarossa Train, 186.4 Mph, (Italy)
  10. THSR 700T, 186.4 Mph , (Taiwan)

ट्रेन से जुड़ी कुछ रोचक ज्ञान

आइये अब रेलगाड़ी से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी को जान लेते है अगर आप पढ़ाई करते है तो आपको लिए काफी फायदेमंद होगा।

  • बिजली से चलने वाली दुनिया की सबसे पहले ट्रेन इंजन का आविष्कार 1837 में राबर्ट डेवीडसन के द्वारा गया था।
  • सबसे पहले स्टीम रेल इंजन का आविष्कार सन 1804 में जार्ज स्टीफेन्सन द्वारा किया गया था लेकिन इस इंजन में कुछ कमी के कारण चल आगे नही बढ़ पाये।
  • दुनिया का सबसे पहली डीजल से चलने वाली रेलगाड़ी इंजन का निर्माण सन् 1912 में स्विट्जरलैंड में हुई थी जो करीब 100km/घंटे के रफ़्तार से चलती थी।
  • दुनिया का सबसे तेज गति से चलने वाली रेलगाड़ी का निर्माण सन् 1964 में जापान के टोक्यो व ओसाका शहर की बीच में हुई थी इस गाड़ी की अधिकतम चाल 164 KM/घन्टा थी।
  • रेलगाड़ी में लगने वाले Air Break का निर्माण एक अमेरिकी इंजीनियर जॉर्ज वेस्टिंगहाउस ने सन् 1872 में किया था।
  • दुनिया का सबसे पहला रेलवे पुल इंग्लैंड के डार्लिंगटन शहर में स्थित है।
  • दुनिया की सबसे पहली रेलगाड़ी का नाम ‘London Underground’ है, जिसकी लंबाई करीब 400 किलोमीटर है इसका निर्माण 9 जनवरी 1863 में  हुआ था।
  • आज के समय मे सबसे तेज चलने वाली रेलगाड़ी का नाम शंघाई मैग्लेव है चीन के शंघाई में है जिसकी अधिक्तम स्पीड 431 KM/घंटा है।
  • दुनिया का सबसे रेल मार्ग अमेरिका में है जो 2,50,000 किलोमीटर से भी ज्यादा है व भारत मे 67,368 किलोमीटर है।
  • दुनिया का सबसे लंबा रेलवे प्लेटफार्म भारत के उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जंक्सन है जिसकी लंबाई 4,430 फीट है।
  • दुनिया का सबसे लंबी रेलवे सुरंग स्विट्जरलैंड में है जिसका नाम “गोथार्ड टनल” है इसकी लंबाई 57 KM है।
  • भारत की सबसे लंबी रेलवे सुरंग जम्मू कश्मीर में है जिसका नाम “पीर पंजाल रेलवे टनल” है इसकी लंबाई 11.215 KM है।

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Train का आविष्कार कैसे हुआ?

भाफ का इंजन/ट्रेन का अविष्कार James Watt ने किया था वे एक मकैनिक, केमिस्ट और इंजीनियर थे जिन्होंने भाफ कि इंजन का खोज कर दुनिया में क्रांति ला दी थी उस समय इसका ज्यादा तर उपयोग ग्रेड ब्रिटेन और बाकि युरोपिया देशो हो रहा था।

James Watt कि भाफ के इंजन का खोज ने संसार का ऊर्जा और उष्मा कि शक्ति से परिचय कराया आद्योगिक क्रांति लाने में James Watt कि यह खोज महान और उपयोगी साबित हुई जेम्स वाट का जन्म स्कॉटलैंड के ग्रिनक नामक शहर में 19 जनवरी 1736 को हुआ था उनके पिता एक सफल जलपोत निर्माता होने के साथ-साथ एक प्रतिष्ठित व्यक्ति थे।

जेम्स वाट ने अपने प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल से प्राप्त कि वे अपने आठ भाई बहनो में छठे स्थान पर थे कुछ समय बाद Grammer स्कूल में दाखिल होने के बाद उन्होंने लेटिन तथा यूनानी भाषा साथ गणित का भी अध्ययन किया जब वे 17 वर्ष के थे तब से पिता के साथ जाकर वर्कसॉप में जाकर मशीनारी संबधित कार्यों को करने में उनको बड़ा ही मजा आता था।

इसके साथ ही वे मशीन से जुड़ी छोटे-बड़े उपकरणों तथा जलपोतों के अव्यवो में रूचि लेने लगे एक बार जाड़े कि रात वह लड़का James Watt ने अंगठी पर रखे पतीले को देखा जिसका पानी उबल रहा था जेम्स ने देखा कि केतली का ढक्कन भाफ कि वजह से बार-बार ऊपर उठ रहा है उन्होंने भाफ कि शक्ति को पहचान कर उसका उपयोग करने कि योजना बनाई।

1753 में उनकी माता का अचानक हुए देहांत तथा पिता के हुए व्यापर में घाटे ने उनके जीवन कि दसा ही बदल दी और उन्हें अप्रेंटिस का कार्य करने के लिए मजबूर होना पड़ा इसके बाद पेट भरने के लिए एक घड़ी निर्माता के यहाँ काम करते थे तथा और भी छोटे-बड़े काम करने पड़े।

1757 में जेम्स ने अपनी छोटी सी वर्कशॉप बनाई जिसमे वे यांत्रिक उपकरणों को ठीक करने लगे इसी बिच इन सब के खोज के बाद उनका ध्यान भाफ कि शक्ति कि ओर गया उन्ही दिन विस्वविद्यालय में धीरे-धीरे काम करने वाला अधिक ईंधन खर्च करने वाला इंजन मरम्पत करने के लिए आया जेम्स ने इसे सुधारने का जिम्मा उठाया और उन्होंने उसमे लगे।

भाफ के इंजन में एक कंडेन्सर लगा दिया जो शून्य दबाव वाला था जिसके कारण पिस्टन सलेंडर के ऊपर और निचे लगा था पानी डालने कि जरुरत उसमे नहीं थी शून्य कि स्थिति बनाये रखने के लिए इसमें वायु पंप लगाकर पिस्टन कि पैकिंग मजबूत बना दी घर्षण रोकने के लिए उसमे तेल डाला तथा स्टीम टाइट बॉक्स लगाया जिससे जो ऊर्जा व्यर्थ हो रही थी वो रुक गई और इस तरह James Watt ने भाफ के इंजन का अविष्कार किया।

अपने इंजन में और सुधर करते हुए जेम्स ने इससे खदानों में से पानी निकालने का काम किया 1790 तक James Watt एक धनवान व्यक्ति बन चुके थे जेम्स ने अपने भाफ के इंजन में समय-समय पर बहुत से बदलावऔर सुधर किए उन्होंने सेन्ट्रीफयूगल जवर्नर लगाकर घूमते हुए इंजन कि गति को नियत्रित किया भाफ के दबाव के दर्ज तथा आयतन के अनुपात को दर्ज करने के लिए एक ऐसा संकेतक बनाया जिसे थर्मोडाइनेमिक कहा जाता है।

James Watt ने उनकी खोजो के लिए 76000$ डॉलर कमाए धनवान व्यक्ति के बाद उन्होंने अपना व्यपार बच्चो के हाथो दे दिया इसके अलावा उनकी रूचि चित्र बनाने में थी साल 1800 में ग्रासको यूनिवर्सिटी ने डॉक्टर और लॉज कि मानज उपाधि से सम्मानित किया इसके बाद 1814 में विज्ञानं एकेडमी ने उन्हें सम्मानित किया।

वृद्धा अवस्था में उन्हें राजनैतिक विरोधो के साथ-साथ पारिवारिक दुखो को भी सामना करना पड़ा उन्होंने अपने पुरे प्रयोगशाला में पुरे आकार के पासन प्रतिमा बनाने का मशीन का अविष्कार किया जीवन के अंतिम समय तक ये महान अविष्कारक अलग-अलग सोधो में लगे रहे 25 अगस्त 1819 में स्वास्थ ख़राब के कारण उनका मृत्यु हो गया।

James Watt निःसंदेह ही भाफ के उपयोग करने वाले वस्तुओ का न तो केवल अविष्कार किया बल्कि भाफ कि उष्मा और ऊर्जा से उसे बहुत ही उपयोगी बना दिया था आद्योगिक दृस्टि से उनके मशीनरी Train का आविष्कार पुरे दुनिया को एक महान देन है।

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