ROE Meaning in Hindi | ROE क्या होता है  इसका इस्तेमाल कैसे करें?

ROE Meaning in Hindi : यदि आप शेयर मार्केट में पैसे निवेश करते हैं तो आप लोगों ने ROE शब्द का नाम जरुर सुना होगा या शेयर मार्केट में आप जिस शेयर को खरीद रहे हैं उससे आपको रिटर्न कितना मिलेगा।

उसे मापने का एक पैरामीटर है ऐसे में इसका हिंदी में क्या मतलब होता है और शेयर मार्केट में इसकी क्या भूमिका है उसके बारे में जानकारी होना आवश्यक है।

तभी जाकर आप शेयर मार्केट में इसके माध्यम से आप किसी भी शेयर से अच्छा खासा रिटर्न प्राप्त कर पाएंगे आइये जानते है ROE का मलतब क्या होता है?

ROE Meaning in Hindi

ROE क्या होता है?

ROE का मतलब “Return on Equity” होता हैं  इसके माध्यम से आप जानकारी ले सकते हैं कि कंपनी अपने शेरहोल्डर के द्वारा लगाए गए पैसे पर कितना मुनाफा कमा रही है  इसके माध्यम से किसी भी कंपनी के प्रदर्शन के बारे में आप जानकारी हासिल कर सकते यदि आप ROE का गणित समझना चाहते हैं तो इसके लिए निकालने के लिए, कंपनी की नेट इनकम को इसकी शेयरधारकों की इक्विटी से विभाजित किया जाता हैं। 

आसान भाषा में बड़ा पता है तो यह एक ऐसा वित्तीय अनुपात है जिसके माध्यम से आप  शेयर होल्डर के निवेश पर कंपनी कितना पैसा कमा सकती है उसकी क्षमता को आप माप सकते हैं।

ROE Meaning in Hindi

ROE का फुल फॉर्म Return on Equity होता है  यहा शेयर मार्केट में एक प्रकार का पैरामीटर है इसके माध्यम से आप किसी भी शेयर के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं क्या आप अगर इसे खरीदते हैं तो आपको कितना रिटर्न मिल सकता है।

आसान भाषा में कहे तो या आपको सही शेयर खरीदने में सहायता करता है और साथ में उसे मुनाफा कितना होगा उसके बारे में व्यापक डाटा आपके सामने प्रस्तुत करता है।

ROE Calculation Kaise Kare

इसका कैलकुलेशन काफी आसान है इसके लिए आपको कंपनी की नेट इनकम या PAT  शेयर होल्डर्स इक्विटी का भाग देकर  प्रतिशत के रूप में निकाला जा सकता है कि कंपनी का प्रदर्शन कैसा है और इसके शेयर किस प्रकार के परफॉर्म मार्केट में कर रहे हैं

ROE कितना होना चाहिए ?

 ROE कितना होना चाहिए  इसका सीधा सा जवाब है कि इसका कोई स्टैंडर्ड अभी तक टाइम नहीं किया गया हालांकि सभी कंपनियों के लिए अलग-अलग इसका मार्जन होता है आमतौर पर 15 से 20% के बीच रिटर्न ऑफ इक्विटी यानी Roe बढ़िया मान जाता है और इससे अगर ज्यादा होता है तो भी अच्छा है हम आपको बता दे की 10% से कम ROE  वाली कंपनियों को poor ROE वाली कंपनी की  कैटेगरी में रखा गया है।

ROE के फायदे

ROE के द्वारा निवेश करने वाले निवेशकों को निम्नलिखित प्रकार के फायदे होते हैं जिसका विवरण हम आपको नीचे दे रहे हैं।

#1. ग्रोथ रेट का अनुमान

रिटर्न का इक्विटी के माध्यम से आप किसी भी कंपनी के  Growth  के बारे में जानकारी लगा सकते हैं कि कंपनी किस प्रकार आने वाले दिनों में ग्रोथ करेगी इसके द्वारा किसी भी कंपनी के स्टॉक और डिविडेंड की ग्रोथ का पता लगाने में मदद करता हैं।

#2. ग्रोथ की स्थिरता का आकलन

ROE  प्रयोग कर आप किसी भी कंपनी के  ग्रोथ की स्थिरता को माप सकते हैं।  ताकि आप ऐसे शेयर खरीद सके जिससे आप मुनाफा कमा सके हम आपको बता दें कि इसके माध्यम से आप आसानी से मालूम कर सकते हैं कि कंपनी ने पिछले कई सालों से किस प्रकार का Roe मेंटेन किया है इससे आपको कंपनी के प्रदर्शन के बारे में जानकारी  मिल जाएगी। 

#3. प्रतिद्वंदी कंपनियों तुलना करना

यदि आप सही कंपनी का चयन करना चाहते हैं ताकि आप उसे कंपनी के शेर को खरीद कर मुनाफा कमा सके तो इसके लिए Roe  मेथड का इस्तेमाल करेंगे इसके माध्यम से सबसे पहले आपको अपने प्रतिद्वंदी कंपनी के फाइनेंशियल स्थिति के बारे में जानकारी हासिल करना होगा ताकि आपको आसानी से समझ में आ सके कि आपकी कंपनी की तुलना में आपकी प्रतिद्वंदी कंपनी किस प्रकार का प्रदर्शन कर रहा है जिसे आप समझ सकेंगे कि आपकी कंपनी का Roe कम है।

#4. फाइनेंशियल स्थिति का आकलन करना

कई बार एक ऐसा ROE  जो दूसरे कंपनी के मुकाबले कम है फिर भी इसे अच्छा मान जाएगा क्योंकि इसके पीछे के कारण है कि उसे कंपनी का इक्विटी छोटा है इसके विपरीत किसी कंपनी का इक्विटी बड़ा है तो ऐसी कंपनियां काफी दिखती होती हैं ऐसे में इसमें पैसे निवेश करना आपके लिए जोखिम होना बड़ा हो सकता है इसलिए आप इसके माध्यम से किसी भी कंपनी के फाइनेंशियल संबंधित स्थिति को जान सकते हैं।

#4. ROE के सीमाएं

वैसे ROE को किसी भी कंपनी को परखने के लिए  वित्तीय अनुपात का इस्तेमाल होता है इसके बावजूद भी हम आपको बता दें  ROE की कुछ सीमाएं हैं।  आप इसके माध्यम से किसी भी नुकसान में जाने वाले कंपनी का आकलन नहीं कर सकते हैं क्योंकि हम आपको बता दें कि इस प्रकार नेगेटिव ROE वाली कंपनियों तुलना से सेक्टर वाले सेक्टर से नहीं की जा सकती है जिनका ROE पॉजिटिव हैं।

क्योंकि कई बार ऐसा होता है कि देश में आर्थिक स्थिति की गति किसी भी कंपनी के Roe के स्वरूप को बदल देती है और अगर इकोनामिक की स्थिति अच्छी हो तो कंपनी का ROE अच्छा हो सकता हैं जबकि स्लो इकॉनमी में ROE निम्न हो सकता हैं। इससे ROE के  द्वारा आप किसी भी कंपनी को जज नहीं कर सकते हैं।

ROE को प्रभावित करने वाले फैक्टर

1. Depreciation – ज्यादा डेप्रिसिएशन के फल स्वरुप कंपनी की नेट इनकम कम हो जाती है जिससे कंपनी की रिटर्न ऑफ इक्विटी भी घर जाती है जो कंपनी का सही Roe नहीं बताया

2. Investment’s growth rate – इसके अंतर्गत आप आसानी से किसी भी कंपनी के ग्रोथ रेट को जान पाएंगे अगर कोई कंपनी तेजी के साथ आगे बढ़ रही है तो उसे अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है जिसके कारण उसका ROE कम दिखाई देता हैं।

Share Buyback – कोई भी कंपनी यदि अपने share को Buyback करती है तो कंपनी के आउटस्टैंडिंग शेयर्स कम होते हैं जिससे कंपनी का ROE बढ़ जाता है ।

4. Capitalization Policy – यदि किसी कंपनी के द्वारा में low मार्केट केपीटलाइजेशन की जानकारी दी जाती है तो ऐसे में कंपनी का  ROE कम हो सकता है।

ROE का सही तरीक़े से उपयोग कैसे करें?

किसी भी कंपनी के ROE को निकालने के बाद उस ROE का सही तरीके से मुल्यांकन करना भी उतना ही ज़रूरी होता है तभी जाकर आप सही तरीके से उसका इस्तेमाल कर पाएंगे हम आपको बता दें कि इसके लिए सबसे पहले आपको अच्छी  ROE वाली कंपनी का यहां पर चयन करना होगा।

जिसे पिछले 5-10 सालों से रिटर्न ऑफ इक्विटी काफी अच्छा है  जिससे आपको कंपनी के आर्थिक स्थिति को समझने में मदद मिलेगी की कंपनी आने वाली तो मैं आपको किस प्रकार का रिटर्न देगी अगर कंपनी का ROE हर साल कुछ प्रतिशत बढ़ रहा है तो  यह एक प्रकार का पॉजिटिव संकेत है इसके माध्यम से आपको समझने में आसानी होगी जाने वाले दिनों में कंपनी और भी तेजी के साथ ग्रो होगा।

लेकिन अगर किसी कंपनी के पिछले सालों का ROE कम है और मौजूदा ROE अचानक से बढ़ा हुआ दिख रहा है आपको उसके कारण के बारे में आकलन करना होगा कि अचानक से कंपनी का रिटर्न इक्विटी क्यों बढ़ रहा है तभी जाकर आपको उसमें पैसे निवेश करने चाहिए।

ROE-Return on Equity कैसे निकालते है?

ROE-Return on Equity एक प्रतिशत के रूप में निकाला जाने वाला  अनुपात है जिसके अंतर्गत पिछले सालों में निवेशकों के पैसे पर कंपनी ने कितने प्रतिशत का रिटर्न दिया है

किसी भी कंपनी का ROE को निकालने के लिए कंपनी के Net Income को कंपनी के Average Shareholders Equity से Divide ( ÷) लगाया जाता है। 

यहां पर नेट इनकम का मतलब होता है है Profit After Tax and Total Expenses। यानी कंपनी के रेवेन्यू में सारे खर्चे और टैक्स पर घटाने के बाद जो इनकम आपको प्रॉफिट के तौर पर प्राप्त होती है उसे हम लोग नेट इनकम  कहते हैं  कंपनी में शेअर धारकों ने लगाएं पैसों को shareholders equity कहते हैं।

FAQ

Q : शेयर मार्केट में ROE क्या होता है?

Ans : ROE का मतलब Return on Equity होता है। यानी किसी कंपनी ने अपने Equity  के प्रयोग से कितना पैसा साल में कमाया है उसे हम लोग रिटर्न में प्रॉपर्टी कहते हैं।

Q : ROE कितना होना चाहिए?

Ans : कंपनी का ROE कम से कम 15% होना चाहिए। 15% से 25% या उससे ज्यादा प्रतिशत का ROE good माना जाता है।

Q : ROE कैसे निकालते है?

Ans : किसी भी कंपनी का ROE को निकालने के लिए कंपनी के Net Income को कंपनी के Average Shareholders Equity से डिवाइड किया जाता है इसका फार्मूला हम आपको नीचे दे रहे हैं ROE का Formula है, ROE = Net Income ÷ Acreage shareholder’s equity

Conclusion :-

आज के इस आर्टिकल में मैंने आपको ROE क्या होता है  इसका इस्तेमाल कैसे करें? इससे जुड़ी तमाम जानकारियां दी हैअगर आपको हमारा आज कहीं आर्टिकल पसंद आया है, इसे अपने व्हाट्सएप ग्रुप पर शेयर करना है, ताकि आपके दोस्तों को भी ROE Meaning in Hindi के बारे में पता चल सके।

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